लेखनी कहानी - आत्मा अर्थात जीव का अन्य लक्ष्य अर्थात अजीव से भेद - डरावनी कहानियाँ
आत्मा अर्थात जीव का अन्य वस्तुओं अर्थात अजीव से भेद - डरावनी कहानियाँ
जीव अपना है तथा शरीर आदि पर पदार्थ अपने नहीं है| वे पर है| आत्मा पर नहीं होती, परद्रव्य कभी आत्मा नहीं होते|
बुढ़ापा, मरण रोग आदि शरीर के ही होते हैं, आत्मा तो अजर अमर है| इसलिए देह के बुढ़ापे व मरण को देखकर भय मत कर|
ऐसा समझने से हम दुखों से घबराते नहीं हैं| हम सुख व दुःख का सम्बन्ध शरीर से जानते हैं| इसीलिये व्यापार में हानि होने पर , शरीर में बीमारी होने पर, किसी का वियोग होने पर अति दुखी नहीं होते | उन सबको शरीर से संबंधित क्रिया जानकर शांत बने रहते है| हम समझते हैं कि मैं तो शुद्ध आत्मा हूँ |